- देश को हिलाकर रख देने वाले कॅरोना से जंग में मिनी भारत कहा जाने वाला फार्मा हब बददी हथियार बनाने मे जुट सकता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश की कुल जरूरत के करीब 50% सैनिटाइजर व आवश्यक दवाओं का उत्पादन अकेले बददी में किया जाता है ।
बददी पुलिस जिला में 24 घंटे शिफ्ट करवा रही करीब ढाई सौ कंपनियों में से करीब 25 कंपनियों के कर्मचारी ही आज कार्यरत हैं। 15 वर्ष पूर्व पैकेज के बाद अस्तित्व में आया बददी फार्मा कंपनियों का बड़ा हब मिनी भारत बन गया है। यहां एशिया महादीप की सबसे बड़ी दवाई सपलाई करने वाली सैकड़ों कंपनियां कार्यरत हैं। इस समय देश में क्रोना के संक्रमण से बचाने में इन कंपनियों का योगदान बहुत हो सकता है। क्यूटेक ग्रुप के एमडी सुमित सिंगला ने बताया कि बददी में सैनिटाइजर सहित अन्य जरूरी दवाइयां कैप्सूल टेबलेट इंजेक्शन आदि बन रहे हैं। सैनिटाइजर की भी करीब 25 लाख शीशियां प्रतिदिन बनाई जा रही है लॉकडॉउन के दौरान यहां की फार्मा कंपनियों को अतिरिक्त श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है । उत्पादन करने में जुटे कर्मचारियों की आवाजाही को लेकर भी प्रशासन गंभीर नहीं है। उन्होंने उत्तराखंड व हरिद्वार का उदाहरण देते हुए बताया की वहां सभी फार्मा कंपनियों को विशेष अनुमति दी गयी है करीब 720 में से 500 कंपनिया अपने कर्मचारियों के साथ तीन शिफ्ट में कंपनिया काम करवा रही है। वहां कि सरकार व प्रशासन द्वारा फार्मा कंपनी के कर्मचारियों की ड्यूटी को अति आवश्यक कहा गया है तथा श्रम कानून के तहत कार्रवाई करने की फैक्ट्री संचालकों को अनुमति दी गई है। उन्होंने बताया कि हिमाचल सरकार भी यदि बददी के फार्मा उधदमियों को पूरा सहयोग करे तो विश्व में फैली क्रोना महममारी के लिए बददी की फार्मा कंपनिया पूरे देश के लिए सहयोगी हो सकती है। उन्होंने बताया कि बददी के फार्मा कंपनियों का फोकस केवल उत्पादन पर है। सिंगला ने चिंता जताई कि भारत सरकार द्वारा विदेशों की तुलना में करीब करीब पॉइंट 71 करोड़ रुपए ही पैकेज के तौर पर दिया गया है जोकि जर्मनी की तुलना में कुछ भी नहीं है। बददी के पास बाद टारगेट है।ऐसे में इन कंपनियों को सरकार देश प्रदेश मे आर्थिक पैकेज घोषित करे ताकि भविष्य मे दवाईयों के संकट से बचा जा सके।
बददी फार्मा हब के उधमी सरकार के सहयोग के इंतजार में
सरकार मददगार बने तो भविष्य में दवाइयों का संकट नहीं आ सकता
बीबीएन 16 अप्रैल शांति गौतम
देश को हिलाकर रख देने वाले कॅरोना से जंग में मिनी भारत कहा जाने वाला फार्मा हब बददी हथियार बनाने मे जुट सकता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश की कुल जरूरत के करीब 50% सैनिटाइजर व आवश्यक दवाओं का उत्पादन अकेले बददी में किया जाता है । बददी पुलिस जिला में 24 घंटे शिफ्ट करवा रही करीब ढाई सौ कंपनियों में से करीब 25 कंपनियों के कर्मचारी ही आज कार्यरत हैं। 15 वर्ष पूर्व पैकेज के बाद अस्तित्व में आया बददी फार्मा कंपनियों का बड़ा हब मिनी भारत बन गया है। यहां एशिया महादीप की सबसे बड़ी दवाई सपलाई करने वाली सैकड़ों कंपनियां कार्यरत हैं। इस समय देश में क्रोना के संक्रमण से बचाने में इन कंपनियों का योगदान बहुत हो सकता है। क्यूटेक ग्रुप के एमडी सुमित सिंगला ने बताया कि बददी में सैनिटाइजर सहित अन्य जरूरी दवाइयां कैप्सूल टेबलेट इंजेक्शन आदि बन रहे हैं। सैनिटाइजर की भी करीब 25 लाख शीशियां प्रतिदिन बनाई जा रही है लॉकडॉउन के दौरान यहां की फार्मा कंपनियों को अतिरिक्त श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है । उत्पादन करने में जुटे कर्मचारियों की आवाजाही को लेकर भी प्रशासन गंभीर नहीं है। उन्होंने उत्तराखंड व हरिद्वार का उदाहरण देते हुए बताया की वहां सभी फार्मा कंपनियों को विशेष अनुमति दी गयी है करीब 720 में से 500 कंपनिया अपने कर्मचारियों के साथ तीन शिफ्ट में कंपनिया काम करवा रही है। वहां कि सरकार व प्रशासन द्वारा फार्मा कंपनी के कर्मचारियों की ड्यूटी को अति आवश्यक कहा गया है तथा श्रम कानून के तहत कार्रवाई करने की फैक्ट्री संचालकों को अनुमति दी गई है। उन्होंने बताया कि हिमाचल सरकार भी यदि बददी के फार्मा उधदमियों को पूरा सहयोग करे तो विश्व में फैली क्रोना महममारी के लिए बददी की फार्मा कंपनिया पूरे देश के लिए सहयोगी हो सकती है। उन्होंने बताया कि बददी के फार्मा कंपनियों का फोकस केवल उत्पादन पर है। सिंगला ने चिंता जताई कि भारत सरकार द्वारा विदेशों की तुलना में करीब करीब पॉइंट 71 करोड़ रुपए ही पैकेज के तौर पर दिया गया है जोकि जर्मनी की तुलना में कुछ भी नहीं है। बददी के पास बाद टारगेट है।ऐसे में इन कंपनियों को सरकार देश प्रदेश मे आर्थिक पैकेज घोषित करे ताकि भविष्य मे दवाईयों के संकट से बचा जा सके।
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