- संस्कृत को सभी भाषा की जननी माना जाता है। अधिकतर सारी सनातन धर्म के ग्रंथ एवं पुस्तकें संस्कृति में ही लिखी गई है लेकिन बढ़ते समय के साथ भारत जो की संस्कृत की जन्मभूमि है वहां लोग संस्कृत भाषा का प्रयोग करना कम कर रहे हैं
लंदन के इस स्कूल में संस्कृत पढ़ाना है अनिवार्य
संस्कृत को सभी भाषा की जननी माना जाता है। अधिकतर सारी सनातन धर्म के ग्रंथ एवं पुस्तकें संस्कृति में ही लिखी गई है लेकिन बढ़ते समय के साथ भारत जो की संस्कृत की जन्मभूमि है वहां लोग संस्कृत भाषा का प्रयोग करना कम कर रहे हैं वहीं विदेशों में संस्कृत को सर्वश्रेष्ठ भाषा का स्थान देकर स्कूलों में संस्कृत के अध्ययन को अनिवार्य कर दिया है।
लंदन के सबसे बड़े स्कूल में से एक सेंट जेम्स कान्वेंट स्कूल में बच्चों को दूसरी भाषा के रूप में संस्कृत सीखना अनिवार्य है। भारत से विशेष तौर पर वहाँ संस्कृत के शिक्षकों की व्यवस्था की जाती है। सेंट जेम्स स्कूल पश्चिम लंदन में स्थित है , इस स्कूल ने संस्कृत को अपने पाठ्यक्रम में लाने का तब फैसला किया जब उनको एहसास हुआ की संस्कृत के अध्ययन से छात्र गणित और विज्ञान का और बेहतर तरीके से अध्ययन करने में सक्षम बनेगें ।
इस स्कूल के संस्कृत विभाग के प्रधान वर्विक जेसप कहते हैं कि : “संस्कृत दुनिया में सबसे परिपूर्ण और तार्किक भाषा है, यह एकमात्र भाषा है जिसका नाम उसके बोलने वालों के नाम पर नहीं रखा गया है। वास्तव में इस शब्द का मतलब ही सिद्ध भाषा है।” वहीं स्कूल के हेडमास्टर ,पॉल मॉस का कहना है कि “देवनागरी लिपि में लिखने और संस्कृत शब्दों का उच्चारण बच्चों के उंगलियों एवं जीभ के अकड़पन से उभरने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है। आज की यूरोपीय भाषा बोलते समय जिह्वा तथा मुँह के अन्य भागों का प्रयोग नहीं करती वहीं लिखते समय भी अंगुलियों की चाल सिमित होती है जबकि संस्कृत अपने स्वर विज्ञान के माध्यम से मस्तिष्क की निपुणता को विकसित करने में अत्यधिक मदद करती है।” आपकों बता दें कि जब राज्यसभा में बीजेपी नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के भारत में पहली संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रस्ताव पर कांग्रेस पार्टी ने उसको मृत भाषा कह दिया था तब डॉ. स्वामी ने लंदन के सेंट जेम्स स्कूल का उदाहरण देते हुए विदेशों में संस्कृत के महत्व को बताया।